मेरी कोम | Mary Kom Biography in Hindi
मेरी कोम
एक महिला खिलाड़ी जिन्होंने अपनी महान उपलब्धियों से भारत को गौरवान्वित किया है, ऐसी महान महिला का नाम है मेरी कोम, जो एक अकेली भारतीय महिला बॉक्सर है.
मेरी कोम का पुरा नाम मांगते चुंगनेजंग मेरी कोम है.
इनका जन्म 1 मार्च, 1983 को मणिपुर के चुराचाँदपुर जिले के सांगा नामक स्थान पर हुआ था ।
इनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी । अत: इनका बचपन बड़े संघर्षों में बीता
मणिपुर के बॉक्सर डिंगो सिंह की सफलता ने उन्हें बॉक्सिंग की ओर आकर्षित किया ।
मैरी कॉम ने वर्ष 1999 में इम्फाल के साई स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इण्डिया में खेलना शुरू किया । मात्र 16-17 वर्ष
की उम्र में उन्होंने पढ़ाई छोड़कर पूरी तरह खेलना शुरू किया । उस समय राज्य में महिलाओं का बॉक्सिंग में आना शुरू भी नहीं हुआ था ।
मैरी कॉम ने वर्ष 2001 में पहली बार नेशनल बुमन्स बॉक्सिंग चैम्पियनशिप जीती ।
इसी वर्ष एआईबीए वर्ल्ड वुमन्स चैम्पियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त किया ।
वर्ष 2003 में एशियन वुमन्स चैम्पियनशिप में तथा वर्ष 2004 में ताईवान में आयोजित एशियन वुमन चैम्पियनशिप में मैरी कॉम ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया ।
भारत सरकार ने वर्ष 2003 में मैरी कॉम को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया ।
वर्ष 2006 में उन्हें पद्मश्री तथा वर्ष 2009 में राजीव गाँधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया ।
वर्ष 2013 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया ।
मैरी कॉम की आत्मकथा ‘अनब्रिकेबल: ऐन ऑटोबायोग्राफी’ है, जिसमें उन्होंने यह वर्णन किया है कि एक बॉक्सर बनने के लिए उन्होंने कितना संघर्ष किया है ।