झवेरचंद मेघाणी | Jhaverchand Meghani Biography in Hindi
झवेरचंद मेघाणी
झवेरचंद मेघानी लोककथाओं के कवि, उपन्यासकार, कहानीकार, शोधार्थी-संपादक, आलोचक, अनुवादक थे।
झवेरचंद मेघाणी गुजराती साहित्यकार तथा पत्रकार थे। वे सफल कवि ही नहीं, उपन्यासकार, कहानीकार, नाटककार, निबंधकार, जीवनीलेखक तथा अनुवादक भी थे।
उनका जन्म 8 अगस्त, 19 को गुजरात के चोटिला गाँव में हुआ था।
उनकी माता का नाम धोलीबाई था और उनके पिता का नाम कालिदास मेघानी था।
उनके पिता की नौकरी पुलिस विभाग में थी और पुलिस विभाग के माध्यम से स्थानांतरण के कारण, उन्हें अपने परिवार के साथ गुजरात के विभिन्न गांवों में रहना पड़ा।
झवेरचंद की शिक्षा राजकोट, दत्ता, पलियाड, बगसरा, अमरेली आदि में हुई थी।
झवेरचंद मेघाणी ने 1919 मैट्रिक किया।
मेघानी ने चार नाटकों, उपन्यासों के सात संग्रहों, तेरह उपन्यासों, छह इतिहास और तेरह आत्मकथाओं की रचना की।
उन्होंने लोकसेवक रविशंकर महाराज द्वारा "मनसैना दीवा" में अनुभव की गई कहानियाँ सुनाई हैं।
तुलसीकारो, युगवंदना, कंकावती, सोरठी बहरावतिया, सौराष्ट्र के रासधार, अपराधि आदि उनकी उल्लेखनीय रचनाएँ हैं।
मेघाणी की कविताओं में सोरठ (सौराष्ट्र) की आत्मा और कथाओं में उसके संवेदन का सजीव चित्र उपलब्ध होता है।
उनके 'छेल्ले कटोरे' में बापू का 'शाश्वत थालेखन' मिलता। इस काव्य को कविकंठ से सुनकर मुग्ध जनता ने उन्हें 'राष्ट्रीय शायर' की उपाधि प्रदान की।
लोकसाहित्य और लोकगीतों से संबद्ध उनकी प्राय: सभी कृत्तियाँ महत्ता रखती हैं। किंतु 'गुजरात नो जय', 'सौराष्ट्रनी रसधार' तथा 'रोढियाली रात' सर्वश्रेष्ठ हैं।